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अवमूल्यन: एक दृष्टि / शम्भुनाथ मिश्र

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भ्रूण परीक्षण

क्लीनिक सब पर लिखल रहत जे भू्रण परीक्षण वर्जित
किन्तु परीक्षण चाहै छी तँ टाका करू विसर्जित
वर्जित नहि अछि किछु रहि गेल, खाली सब ढौआकेर खेल
मनुजकेर जखन मनुजता गेल तखन जीबै छी ककरा लेल

शिक्षा क्षेत्र

कुलपति बनबा लय ककरो चाही सत्ताकेर तिकड़म
समय-समय पर राजभवनकेर करय पड़ैछ परिक्रम
क्रमशः ई क्रम बढ़िते गेल, ककरा कतय लगाबी तेल
जखन नैतिकते नहि रहि गेल तखन जीबै छी ककरा लेल

शिक्षक गण बूझथि जे हमही थिकहुँ राष्ट्र निर्माता
ज्ञान बुद्धिसँ कते गोटे छथि समुचित ज्ञान प्रदाता?
गुरु प्रति भाव विलोपित भेल, गुरुता अछि लघुता बनि गेल
पढ़ाबय योग्य ज्ञान भय गेल, बुझथि सब, छी पंडित बनि गेल

जन-प्रतिनिधि

जन-प्रतिनिधि बनबा लय पहिने चाही पोसल गुण्डा
भाड़ा पर नहि लोकक दिक्कत लेने हाथमे झण्डा
के अछि लुरिगर के बकलेल, सबतरि मचलै ठेलमठेल
जखन मानवते नहि रहि गेल, तखन जीबै छी ककरा लेल

प्रतिनिधिक आन्तरिक चरित्र

जे सब मानथि अपनाकेँ जे.पी. आन्दोलन पोषक
तनिका सब लय लागल देखू गद्दा तकिया तोशक
पोषक अछि शोषक बनि गेल, सबटा लगइत अछि अनमेल
मनुजकेर जखन मनुजता गेल, तखन जीबै छी ककरा लेल

सात घाटकेर पानि पीबि कय कहबय हम छी निर्मल
ठकहरबा आ छलबुद्धी सब कहय न जानी छल-बल
बाहर छिटने तेल फुलेल, भितरिया अछि सबहक सड़ि गेल
नटकिया अछि सब क्यौ बनि गेल, हम सब जीबी ककरा लेल

सेवा क्षेत्र

सेवा क्षेत्रक बहुत व्यवस्था ‘लिंके’ सँ जुड़ि गेल
ककरो कतबो हो आवश्यक कहत ‘लिंक’ अछि फेल
मधुरता मधुसँ अछि उड़ि गेल, आपसी प्रेम विलोपित भेल
जखन नैतिकते नहि रहि गेल, तखन ई जन्म व्यर्थ चलि गेल

चौक-चौराहा

चौबट्टी पर बट्टी असुलय तकर न कोनो लाज
आकाकेँ टाका पहुँचाबय जानय सकल समाज
समाजक यैह व्यवस्था भेल, सबटा परसेन्टेजकेर खेल
जखन नैतिकते नहि रहि गेल, तखन जीबै छी ककरा लेल

पुलिसक वक्र दृष्टिसँ सदिखन रहय सशंकित लोक
के घूमत स्वच्छन्द कखन के पकड़ायत अनचोक
अपन जेबी गरमाबक लेल, कखन के ककरा देत धकेल
पहिरने वर्दी आ पोशाक, रुपैया रहलै पीटि अलेल

राष्ट्रवाद ओ क्षेत्रवाद

कने विचारू राष्ट्रवाद पर क्षेत्रवाद अछि हावी
थिका मराठा तेँ ककरहु पिटबाकेर राखथि दावी
राष्ट्रक रूप विखण्डित भेल, तैयो नहि क्यौ दण्डित भेल
मानव जाति कलंकित भेल, हम सब जीबी ककरा लेल

गठबन्धक राजनीति

स्वार्थे खातिर गदहो लगमे सिंहे दौड़ि अबै अछि
क्यौ ककरो लग भय नतमस्तक नाक अपन कटबै अछि
सरिपहुँ उनटे गंगा भेल, देखू सबतरि एहने खेल
ककरो लय क्यौ नहि अनमेल, सब किछु सत्ता पयबा लेल

राष्ट्रीय राजनीति

आतंकीकेँ पालि पोसि कय करइत रहू तपस्या
वार्त्ता सफल हैत के जानय बनले रहत समस्या
संसद धरि पर हमला भेल, दोषी फाँसी पर नहि गेल,
नेता स्वयं विवश छथि भेल, तखन जीबै छी ककरा लेल

वोट बैंककेर राजनीतिसँ जाबत नहि सब उबरब
ग्लानिक घोंट पिबैत रहब आ एहिना सब दिन हुँकरब
हुकड़न क्रमशः बढ़िते गेल, समस्या ओझरयले चल गेल
व्यवस्था चालनि अछि बनि गेल, तखन जीबै छी ककरा लेल

दिन प्रतिदिन बढ़ले जाइत अछि सबतरि भ्रष्टाचार
त्यागपत्र दय देलहुँ तखन पुनि आर कथीक विचार
एजेन्सी केर गठन भय गेल, घोटालाबाज सुरक्षित भेल,
‘ब्लैक’ धन सबसँ ऊपर भेल, विवश भय देखि रहल छी खेल

मोहन छवि रहितो मनमोहन बूझि न सकला बात
कतबो देथु सफाइ अपन ओ छविक भेल आघात
आइ छथि उत्तरदायी भेल, प्रतिष्ठा धूलि धूसरित भेल,
कानमे तूर तेल पड़ि गेल, करिक्का चश्मा अछि चढ़ि गेल

आबहु नहि जँ चेतब विजयक कोना बजायब डंका
बिनु शक्तिक आवाहन कयने जरि नहि सकतै लंका
शंकासँ मन अछि भरि गेल, पौरुष बन्धक अछि पड़ि गेल
मानव-मानव नहि रहि गेल, हम सब जीवी ककरा लेल

राष्ट्र भक्ति थिक सर्वोपरि जाधरि नहि बूझत देश
तावत धरि लटकले रहत फाँसिक कोनहुँ आदेश
वचनसँ कर्त्तव्यक नहि मेल, लगै अछि भेल व्यवस्था फेल
विचारक अवमूल्यन भय गेल, कहू पुनि जीवी ककरा लेल

हम सब मिलि जुलि आइ करी प्रण करब राष्ट्र निर्माण
रामराज्य साकार करी सब स्वयं पैब सम्मान
मान पुनि बढ़य कोना तहि लेल, जरूरी जागरूकता भेल
देश पुनि चढ़य शिखर तहि लेल, जीबी सब क्यौ ताही लेल