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बाबाक सपना / शम्भुनाथ मिश्र

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हम कतहु रही अछि ज्ञान, रहै अछि ध्यान सतत गामे लय
हम रही देश-परदेश, देब हम जान अपन गामे लय

बाबा पड़ैत छथि मोन, छला ओ प्राण-वियोग करैत
होइत छै माटिक मोल अमोल, छला से सदा बजैत रहैत
बाबाक स्वप्न कयलहुँ पूरा जे किछु कयलहुँ गामे लय

दू मे दू जोड़बै हेतै चारि बाबा पढ़बैत छलाह
तैमूरलंग एक्कैस बेर रण हारि तखन जितलाह
लगन आर संकल्प रहय दृढ़ हिला सकैछ हिमालय

पिताजी नाम लिखौलनि हमर छलै गामेमे एक स्कूल
जिला भरिमे लय बेसी अंक भेलहुँ हम प्रथम, मनक अनुकूल
हम भेलहुँ माध्यमिक पास उच्च्तम अंक प्रथम श्रेणी लय

बाबा के नहि छल ई विचार हम दूर कतहु चलि जाइ
शहरमे रहि कऽ हम पढ़ि सकी पिताकेँ छलनि तते नहि पाइ
हम लेलहुँ पूर्ण संकल्प रहब किछु करब अपन गामे लय

पढ़ि लिखि भेलहुँ चिकित्सक पैघ बढ़ल पसरल चहु दिस निज नाम
सभक हम पाबि उचित सहयोग भव्य हॉस्पीटल खोलल गाम
सुविधासँ छल हर्षित सब क्यौ आशीष देलक नामे लय