Last modified on 30 मार्च 2015, at 11:49

घुट-घुट मरत बा आदमी / सूर्यदेव पाठक 'पराग'

सशुल्क योगदानकर्ता ३ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:49, 30 मार्च 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सूर्यदेव पाठक 'पराग' |संग्रह= }} {{KKCatBho...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

घुट-घुट मरत बा आदमी
गलती करत बा आदमी

हैवानियत में जी रहल
कहवाँ डरत बा आदमी

कबहीं कली, फिर फूल बन
सूखत-झरत बा आदमी

तिल-तिल दिया के टेम अस
बूतत-बरत बा आदमी

आबाद आपन खेत रख
अनकर चरत बा आदमी

लेलस कबो करजा, उहे
रोजो भरत बा आदमी

सबके खुशी देखत दुखी
होके जरत बा आदमी