Last modified on 1 अप्रैल 2015, at 16:30

अवरित आई बसन्त बहारन / ईसुरी

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:30, 1 अप्रैल 2015 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

अवरित आई बसन्त बहारन
पान-फूल फल डारन।
बागन, बनन, बंगलन, बेलन
बीधन बगरं बजारन।
हारन और पहारन पारन,
घाम धवल जल धारन।
तपसी कुटिल कन्दरन खोरन।
गई बैराग बिगारन।
आए बौर मजीरन ऊपर
लगे भोंर गुजारन।
चहत अतीत, प्रीत प्यारे की।
हा हा करत हजारन।
ईसुर कन्त अन्त हैं जिनके
तिनें देत दुख दारून।