Last modified on 22 अप्रैल 2015, at 10:10

रस-प्रकृति / सुरेन्द्र झा ‘सुमन’

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:10, 22 अप्रैल 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुरेन्द्र झा ‘सुमन’ |अनुवादक= |सं...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

स्वकीया - दरस-परस दूरहु यदि च पर क संकुचित गात
लजवन्ती धनि वनस्पति रति वन - आङन कात।।38।।

परकीया - कमलिनि दिन पति रस हुलसि सौरभ भरित दिगन्त
लखि दूरंगत, भ्रमर लय उरसि विलस निशि हन्त!!39।।

वेशिनी - प्रात शिथिल, दिन मलिन, निशि विकसित, साँझहि झात
चान क चानी मन हुलस कुमुद वेशिनी स्यात।।40।।