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केसर रो कीच मचावो / मालवी

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

KKCatMalawiRachna‎

केसर रो कीच मचावो
कस्तूरी रो मलन मिलावो
राम हल बिच धन खड़ी जी म्हारा राज
नारेला री नींव नखाव
सुपारी री पूरणी नखाव
बरफी री भींत कराव
जलेबी री बारी रखाव
लोंगां री जाली लगाव
सिंगोड़ा रा कंगूरा लगाव
आलो सो चंदन कटाव
मोड़ मलकिया घुड़ाव
चारी पांयें भंवर उतारो
ईसा ने हिंगलू डोलावो
रेसम बान बुनावो
मखदोय दामनी देवाड़ो
अतलस सेज बिछावो
मिसरू रा तकिया लगाव
चिरमा री सोड़ मिलावो
गाल मसूरिये गेंदा
जेठे पोड़े फलाणा राम रा भीम
देखो म्हारा मेलां री चतराई
जेठ पोड़े फलाणा राम री धीय
देखो म्हारी सेजां री चतराई