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म्हारे आज जलवाय की रात हो रसिया / मालवी

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

म्हारे आज जलवाय की रात हो रसिया
लई दो बाला चूनड़ी
म्हारा पावां सारू बिछिया घड़ाव हो रसिया
अनबट रतन जड़ाव हो रसिया
म्हारा एड़िया सारू तोड़ा घड़ाव
सांकला रतन जड़ाव
म्हारा बईरां सारू चूड़ीलो चिराव
सोयटी सासे छंद लगाव
म्हारा बांव सांरू बांवठिया घड़ाव
बाजूबंद झबिया लगाव
चुड़िला खे चीम लगाव
म्हारा लगा सारू माला घड़ाव
गलूबंद रतन जड़ाव
म्हारा काना सारू झाला घड़ाव
झुमका से मीना लगाव
म्हारा मुखड़ा सारू बेसर घड़ाव
छागो बिजली लगाव
सीस सारू सीस फूल घड़ाव
अड़ सारू सालू रंगावो
अंगिया रतन जड़ावो
पेठणी से पदर लगाव।