Last modified on 10 मई 2015, at 18:52

अजम्मरी पीडा भए, अजम्मरी मनले पिइदिनु / सरुभक्त

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:52, 10 मई 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सरुभक्त |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatNepaliRach...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

अजम्मरी पीडा भए, अजम्मरी मनले पिइदिनु
खिइनुको हद कहाँ हुन्छ, त्यसलाई नाघी खिइदिनु
प्रेम गर्दा जीवनमा जति निर्दयी प्रहार परे पनि
तिमी हरेक प्रहारमा आँशुको फूल भैदिनु