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खण्डित बन्धा / मोती बी.ए.
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अब येह खण्डित बन्धा के
केहू बान्हि ना सकेला
एही खण्डित बन्धा से
समूचा सागर के बहि जाए द
केतने गोरख, केतने दिनकर
केतने सुभद्रा, सोहनलाल, माखनलाल
गणेश शंकर, भगत सिंह, आजाद
सुभाष, गान्धी, विवेकानन्द, तिलक
सबके बहि जाए द एके संग
खण्डित बन्धा के साथ
केकरा में सक्ति बा
जे ए खण्डित बन्धा के बाँधी
बन्हाइल त रहल ह ई बाँध एक बेर
बाकी एकर कवन गति भइल
जो फेनू ऊहे कुल्हि होखे के बा
त का होई एके बान्हि के!
बहि जाए द एके पूरा
जवले ई बाँध पूरा बहि ना जाई
तबले जियले के कवनो उपाइ ना हो पाई
06.11.92