Last modified on 11 जून 2015, at 20:52

सीकिया चीरिए चीरिए बँगला छवावल / मगही

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:52, 11 जून 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=मगही |रचनाकार=अज्ञात |संग्रह= }} {{KKCatSohar}}...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मगही लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

सीकिया<ref>सींक</ref> चीरिए चीरिए<ref>चीर-चीरकर</ref> बँगला छवावल।
ठोपे ठोपे<ref>बूँद-बूँद</ref> चुअहे<ref>चूता है</ref> गुलाब, से ठोपे ठोपे॥1॥
सेहो<ref>उसी</ref> अरक<ref>अर्क, रस</ref> के पगड़ी रँगाबल।
पेन्हें जी होरिलवा के बाप, उनखा<ref>उनको</ref> के होरिला भयले॥2॥
हम त एहो परभु, गरभ से बेयाकुल।
तूँ चढ़ि पलँगा बइठबऽ मन मार॥3॥
तूँ त चलिए जयबऽ<ref>जाओगे</ref> राजा कचहरिआ<ref>कचहरी</ref>।
हम हीं बुझब, सभ लोग॥4॥

शब्दार्थ
<references/>