भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
चुनौती / सी.बी. भारती
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:13, 2 जुलाई 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सी.बी. भारती |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
तुमने चुरा लिये
हमारे विकास के रास्ते
शिक्षा पर लगा दिये प्रतिबन्ध
आखर पर आज रख दी है तुमने
हमारी भागीदारी के लिए
योग्यता की शर्त
पर कब तक फेंकोगे तुम
अपना यह मकड़जाल हम पर?
घबराओ नहीं
समय आ रहा है
जब हम भी बढ़ेंगे तुमसे
दौड़ने की शर्त
जीतेंगे बाज़ी
तोड़ेंगे तुम्हारा दर्प
सुनो परिवर्तन की सुगबुगाहट
बदलती हवा का रुख़
पहचानो पहचानो पहचानो!