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आम्बेडकरीय कविता - 3 / प्रेमशंकर

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उत्तर आधुनिकता
और उत्तर प्रदेश
दोनों के बीच में
पड़ा है आवंटित
एक बंजर खेत
न पट्टा दिया
और न देंगे
काग़ज़ों पर रपट लिखकर
आश्वासन
एक आम्बेडकर की मूर्ति
हवा में स्थापित कर देंगे
वोट की चोट
मूर्ति को साकार करेगी
ज़मीन हमें अपने-आप वरेगी।