भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
बन्दूक़ का जातिभेद / प्रभाकर गजभिये
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:36, 4 जुलाई 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रभाकर गजभिये |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
एक रहस्य समझ न पाया
गोलियों में भी क्यों जातिभेद आया?
नागपुर, मुम्बई में दलित-मुस्लिम जनता
प्रदर्शन कर रही थी
फिर भी निहत्थों पर गोलियाँ चल रही थीं
मराठवाड़ा मुम्बई में दंगाई
दुकानें, बस्तियाँ जला रहे थे
पाजामे खोल शिनाख़्त कर
चाक़ू चला रहे थे
ये सब देखकर भी पुलिस ख़ामोश थी
दंगाइयों के लिए
क्यों गोलियाँ बेहोश थीं?