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चपल चंचला पल होते हैं / मृदुल कीर्ति

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सबके बीते पल होते हैं, सबके स्वप्निल कल होते हैं
किन्तु इन्हीं में रहना जीना, व्यर्थ है केवल छल होते हैं।
चपल चंचला पल होते हैं!

वर्तमान शाश्वती अनाहत, से ही सच सम्बल होते हैं
समय सारिणी चाल अनवरत, गत-आगत तो छल होते हैं।
चपल- चंचला पल होते हैं!

पल-पल, प्रति पद चाप बिना ही, पल युग-संवत्सर को नापे
पल के तल ही प्रकृति संचलित, पल बल बहुत प्रबल होते हैं।
चपल चंचला पल होते हैं!

साथ-साथ अनवरत चले पल, किन्तु कोई पदचाप न भाँपे
पल ही महा शक्ति सृष्टि की, जहाँ सभी निर्बल होते हैं।
चपल चंचला पल होते हैं!

पल ही काल प्रभंजन दुष्कर, पल ही सुखकर जीवन व्यापे
हम तत्काल दर्शी किंचित से, पल त्रिकाल दर्शी होते हैं।
चपल चंचला पल होते हैं!