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खूब समझते चाल आपकी / दिविक रमेश
Kavita Kosh से
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करतब दिखलाते हो जब-जब
अंकल अच्छे तो लगते हो।
इसीलिए तो फिल्म देखते
ओर मज़ा भी आता हमको।
आकर चलती ट्रेन के आगे
मज़े-मज़े से कभी निकलते।
कभी भीत पर टेढ़े-मेढ़े
ऊंचे-ऊंचे तक चढ़ जाते।
पर इतना मत समझो बुद्धू
खूब समझते चाल आपकी।
सब ट्रिक का खेल है प्यारा
करें न कॉपी कभी आपकी।
कम्प्यूटर पर हम भी कितने
जादू से करतब दिखलाते।
उल्टे-सीधे चित्र बनाकर
कहीं की चीज़ कहीं लगाते।
बस एक ही बात है ऐसी
नहीं समझ में आती हमको।
टेढ़ा-मेढ़ा, उल्टा-सीधा
करना क्यों भाता है सबको।