Last modified on 9 जुलाई 2015, at 12:32

पेटू जी का गीत / दिविक रमेश

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:32, 9 जुलाई 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} {{KKCatBaalKavita}} <p...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

सोचो पेट बहुत से होते
तो फिर मज़ा न कितना होता
कभी न थकते खाते खाते
भोजन चाहे जितना होता

एक पेट में भरते जाते
ठंडी ठंडी आइसक्रीम जी
और दूसरे में हम भरते
पैप्सी ठंडी और कोक जी

एक पेट में चॉकलेट तो
एक पेट में दूध मलाई
एक पेट में काजू पिस्ते
और एक में नानखताई

डोसा बरगर इडली सांबर
पीज्ज़ा हलवा भी हम खाते
चावल पूरी छोले कुलचे
एक साथ ही चट कर जाते

सोचो पेट बहुत से होते
तो फिर मज़ा न कितना होता
कभी न थकते खाते खाते
भोजन चाहे जितना होता