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रात गर हूँ / वीनस केसरी

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रात गर हूँ,
फिर सहर हूँ

हसरतों की,
रहगुज़र हूँ

मैं ही तेरा,
मुन्तज़र हूँ

सच कहा था,
दर -ब- दर हूँ

संग वालों,
फल शज़र हूँ

खुल के कह-सुन,
मोतबर हूँ

खुद में उलझा,
राहबर हूँ