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अपने आप संग / इमरोज़ / हरकीरत हकीर

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सड़क के किनारे बैठे एक फकीर से
इक मुसाफिर ने पूछा
बाबा यह सड़क कहाँ जाती है ..?
फकीर ने कहा
मैंने इस सड़क को कभी भी
कहीं भी जाते नहीं देखा
हाँ लोग आते -जाते रहते हैं
फकीर का जवाब सुना अनसुना कर
मुसाफिर चल पड़ा अपने आप संग
अपने आप संग चले जा रहे मुसाफिर को
सड़क दूर तक देखती रही
ऐसा राही सड़क ने पहले
कभी न देखा था