Last modified on 14 जुलाई 2015, at 11:18

मिठाई का गीत / शेरजंग गर्ग

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:18, 14 जुलाई 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शेरजंग गर्ग |संग्रह= }} {{KKCatBaalKavita}} <poem> ब...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

बनी जलेबी, बड़ी फरेबी
टेढ़ी-मेढ़ी तिरछी गोल,
             नरम, गरम, रसभरी करारी
             मुँह में देती मिसरी घोल।

बर्फ़ी है, जो बर्फ़ नहीं है
सर्दी में भी खा लें आप,
                रसगुल्लों की ख़ूब सुनाई
                यह आए तो सब कुछ फ्लॉप।