भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
तोहर मउरी हवऽ नव लाख के / मगही
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:10, 15 जुलाई 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=मगही |रचनाकार=अज्ञात |संग्रह= }} {{KKCatMagahiR...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
मगही लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
तोहर मउरी हवऽ नव लाख के।
जरा जइहऽ<ref>जाना</ref> काँटे-कुसे बच के॥1॥
नदी नाले से चलिहऽ सँम्हर के<ref>सँभलकर</ref>।
जरा लाड़ो<ref>लाड़ली<ref>दुलहिन</ref></ref> से रहिहऽ सँम्हर के॥2॥
शब्दार्थ
<references/>