भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
थोड़ी अच्छी खराब है साहेब / प्रताप सोमवंशी
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:11, 26 जनवरी 2008 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रताप सोमवंशी }} Category:ग़ज़ल थोड़ी अच्छी खराब है साहेब...)
थोड़ी अच्छी खराब है साहेब
जिन्दगी एक किताब है साहब
उसको पहचान नहीं पाओगे
साथ रखता नकाब है साहेब
वो शराफत की बात करता है
उसकी नीयत खराब है साहेब
पांव के कांटे ने ये बतलाया
इस गली में गुलाब है साहेब
सारी अच्छाइयां हैं बस तुझमें
कैसा उलटा हिसाब है साहेब