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लोग तर्कों के बीच अटके हैं / प्रताप सोमवंशी
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लोग तर्कों के बीच अटके हैं
रास्ते दूर-दूर हट के हैं
तेरे वादों के लंबे मरूथल में
कितने मासूम लोग भटके हैं
सोचता हूं अभाव है या करंट
एक-एक पल हजार झटके हैं
एक तस्वीर कैसे पाओगे
आईने सौ जगह से चटके हैं
आप बोलें जरूर तूफां पर
रहने वाले तो अप तट के हैं