छत पे सोया था बेखबर कोई
लूट कर ले गया है घर कोई
तुम जो मिम्बर से चीखे जाते है
उसका होता नहीं असर कोई
शाम लौटा वो घर तो ये बोला
इतना आसां न था सफर कोई
पेट था, पांव थे औ गरदन थी
अंजुमन में नहीं था सर कोई
सुबह से शाम झूठ और धोखा
तुमको लगता नहीं है डर कोई