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होठों पर कुछ मधुबन जैसा / सिया सचदेव

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होठों पर कुछ मधुबन जैसा
आँखों में है सावन जैसा

ख़ुशी हुई है उससे मिल कर
मन अंदर है नर्तन जैसा

असहनीय है पीड़ा तेरी
क्रंदन तेरा बिरहन जैसा

तुझ बिन है सब रीता रीता
कुछ तो होता जीवन जैसा

किसकी राह तके है जोगन
दर्द सहे है बिरहन जैसा

इक असीम सागर जैसा है
प्रेम नहीं हैं बंधन जैसा