मगही लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
नदिया किनारे जिरवा जलमि<ref>जलमि गेल = पैदा हो गया, जनम गया</ref> गेलइ।
फरे<ref>फल से</ref> फूले लबधि<ref>लबधि बेलइ = सध गया</ref> गेलइ हे॥1॥
घोड़वा चढ़ल आथिन<ref>आ रहे हैं</ref> दुलरइता दुलहा हे।
उनकर पगड़ी अमोद<ref>आमोद, सुवास</ref> बसे हे॥2॥
ओतें<ref>उधर</ref> सूतूँ, दुलरइता दुलहा हे।
होइ जयतइ चुनरिया मइला हे॥3॥
धोबिया जे धोबले<ref>धोता है</ref> जमुन दइ हे।
सूखे<ref>सुखने के लिए</ref> देलकइ चनन गछिया हे॥4॥
बाट जे पूछले बटोहिया भइया हे।
केकर<ref>किसका</ref> सिर के पगड़िया सूखइ हे।
केकर तन के चुनरिया सुखइ हे।
जेकर गंधे आमोद बसे हे॥5॥
शब्दार्थ
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