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कवन साही अइसन लाली दरवजवा / मगही

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मगही लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

कवन साही अइसन<ref>ऐसा</ref> लाली दरवजवा, मानिक जड़ले केवाँड़ हे।
कवन दुलहा अइसन बड़ा दुलरूआ, खेलले पासा<ref>जूआ</ref> जोड़ हे॥1॥
कवन भँडु़आ अइसन लाली दरवजवा, मानिक जड़ले<ref>जड़े हुए</ref> केवाँड़<ref>किवाड़</ref> हे।
कवन दुलहा अइसन बड़ा दुलरूआ, खेलले पासा जोड़ हे॥2॥
अँखवा<ref>आँखे</ref> जनि<ref>मत</ref> मटकइह<ref>मटकाना</ref> दुलहा, धरती जनि लइह<ref>लाना, देना</ref> डीठ हे।
देखन अइहें<ref>आयेंगे</ref> ससुरारी के लोगवा, कइसन सुन्नर दमाद हे॥3॥
अँखिया दुलरुआ के आमि<ref>आम के</ref> के फँकवाँ<ref>फाँकें</ref> नकवा सुगवा के ठोर हे।
जइसन झलके अनार के दाना, ओइसन<ref>वैसा</ref> दुलरूआ के दाँत हे॥3॥

शब्दार्थ
<references/>