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ननदी अँगनमा चनन केरा हे गछिया / मगही

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मगही लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

ननदी अँगनमा<ref>आँगन में</ref> चनन ेकरा<ref>का</ref> हे गछिया।
ताहि चढ़ि बोलय कगवा कुबोलिया॥1॥
मारबउ<ref>मारूँगा</ref> रे कगवा हम भरल बढ़निया<ref>झाडू़</ref>।
तोहरे कुबोली बोली पिया<ref>गया</ref> गेल परदेसवा
हमरा के छोड़ि गेल अपन कोहबरवा॥2॥
काहे लागी मारमें<ref>मारोगी</ref> गे भरल बढ़निया।
हमरे बोलिया औतन<ref>आयेंगे</ref> पिया परदेसिया॥3॥
तोहरे जे बोलिया औतन पिया परदेसिया।
दही भात मिठवा<ref>मीठा, गुड़</ref> खिलायम<ref>खिलाऊँगा</ref> सोने थरिया<ref>थाली में</ref>॥4॥
उड़ि उड़ि कगवा हे गेलइ नीम गछिया।
धम से पहुँची गेलइ पिया परदेसिया॥5॥

शब्दार्थ
<references/>