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क्षमा प्रार्थना / अम्ब-चरित / सीताराम झा
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ने हमरा किछु बृद्धिबल, ने श्रुतिशास्त्रक ज्ञान।
केवल जगजननीक जनि-भूमिजन्म-अभिमान॥
“जन्मभूमि, जननी तथा मातृगिरा”, ई तीन।
सार सकल संसार में, छथि कहि गेल प्रवीन॥
निजजननी-वानीक पद-सेवा करतब जानि।
कयल चरित चरचा हुनक, अपन हृदय मुख मानि॥
विषयमात्र में दोष गुन, अछि सब थल समकक्ष।
दोष दुष्टजन-दृष्टि में, गुनगन सुजन-समक्ष॥
सहजहि होइछ, तैं तकर, हेतु व्यर्थ थिक यत्न।
केवल कहनहि काच की भै सकैत अछि रत्न?॥
जे त्रुटि हो जहि ठाम से, जानि हमर अज्ञान।
मानवधर्म विचारि वा, क्षमा करथि मतिमान॥
देखथि सब थल साधु सुख-दायक सीताराम।
सीताराम क चरित शुभ, गायक सीताराम॥
-श्री जानकी नवमी
वि.सं. 2013
विनीत-श्रीसीताराम झा