भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
खटमल / विद्याभूषण 'विभू'
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:49, 11 अगस्त 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विद्याभूषण 'विभू' |अनुवादक= |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
चौंक पड़ा,
हुआ खड़ा,
ओ हो काट रहा खटमल!
पकड़ लिया,
जकड़ लिया,
अब डालूँगी, तुझे मसल!
पता नहीं,
छिपा कहीं,
चुटकी से चट गया निकल!
-साभार: लो खिलौने’, सं. जयप्रकाश भारती