भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
भारत कितना प्यारा है / गिरिजादत्त शुक्ल 'गिरिश'
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:03, 21 अगस्त 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गिरिजादत्त शुक्ल 'गिरिश' |अनुवादक...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
यहीं हिमालय-सा पहाड़ है, यहीं गंग की धारा है,
जमुना लहराती है सुंदर, भारत कितना प्यारा है!
फल-फूलों से भरी भूमि है खेतों में हरियाली है,
आमों की डालों पर बैठी गाती कोयल काली है!
बच्चो! माँ ने पाल पोसकर तुमको बड़ा बनाया है,
लेकिन यह मत भूलो तुमने अन्न कहाँ का खाया है!
तुमने पानी पिया कहाँ का, खेले मिट्टी में किसकी?
पले हवा में किसकी बोलो, बच्चो! प्यारे भारत की!