भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दावतनामा / कल्याण कुमार जैन 'शशि'

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:44, 16 सितम्बर 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कल्याण कुमार जैन 'शशि' |अनुवादक= |स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कहा शेर ने टेलीफोन पर
हलो! शिकारी मामा,
भेज रहा हूँ सालगिरह का
तुमको दावतनामा।
मामी, मौसी, मुन्ना, मंगू
सबको लेकर आना,
मगर शर्त यह याद रहे
‘बंदूक’ साथ मत लाना।

-साभार: पराग, जनवरी, 1980, 75