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आटे-बाटे / कन्हैयालाल मत्त
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आटे-बाटे दही पटाके,
सोलह सोलह सबने डाटे।
डाट-डूटकर चले बजार,
पहुँचे सात समंदर पार।
सात समंदर भारी-भारी,
धूमधाम से चली सवारी।
चलते-चलते रस्ता भूली,
हँसते-हँसते सरसों फूली
फूल-फालकर गाए गीत,
बंदर आए लंका जीत।
जीत-जात की मिली बधाई,
भर-भर पेट मिठाई खाई।