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हम बाल गुपाल / सुमित्रा कुमारी सिन्हा

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हम बाल गुपाल सभी मिलकर
दुनिया को नई बनाएँगे।

जो अभी नींद में सोए हैं,
जो अंधकार में खोए हैं,
कल उनको हमीं जगाएँगे।

जो नींवें अब तक भरी नहीं,
जो फुलवारी है हरी नहीं,
कल उनको हमीं बसाएँगे।

जो शीश सदा से झुके हुए,
जो कदम आज हैं रुके हुए,
कल उनको हमीं उठाएँगे।

जो अंकुर डरें उभरने से,
जो पौधे डरें सँवरने से,
कल उन्हें हमीं लहराएँगे।

हम छोटे आज, बढ़ेंगे कल,
धरती से गगन, चढ़ेंगे कल
हम ऊँचा देश उठाएँगे।