Last modified on 6 अक्टूबर 2015, at 02:57

बताह छी तेँ / नारायण झा

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 02:57, 6 अक्टूबर 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नारायण झा |अनुवादक= |संग्रह=प्रति...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

बताह छी
हम बताह छी तेँ
हमरा तरहत्थी पर
अहाँ फेकि दैत छी
ऐंठि-कूठि
सोहारी, परोठाक टुकड़ी
चूड़ा -दालमोठक झड़ुआ
बासि-तेबासि सभ तरहक भोजन।

हमहुँ अहीं सन
जनमि धरती पर अयलहुँ
अहींक मायक सदृश
छल हमरो मायक उदर
ज्वार-भाटा सदृश
हमरो परिवार मे उठल छल
बिहुँसल छल आस-पड़ोस
तकरा अहाँ तुच्छ सँ तुच्छ
कुकुरो सँ नीच बुझि
फेकि देलहुँ कारा
हम बताह छी तेँ।

एहि बासि
ऐंठि-कुठि खयबा मे
हमर कपार की विधना लिखल
आ कि पूर्व जन्मक अरजल पाप
से त नहि बूझल
हमहुँ अहीं सन जीव छी
हमरहुँ ओहने जीह अछि
हमरहुँ भीतर आत्मा अछि
परमात्मा सभ देखि रहल छथि
एहेन अपराधक मोटरी नहि उघू
नहि जूमल सौंस आ निरैठ सोहारी
हमरा बरू छोड़ि दिअय भूखल
छोड़ि दिअय तन भीजल
नहि उपचारक कोनो नाटक करू
हमरा छोड़ि दिअय कहुना
नहि करू एहेन अत्याचार
जाहि पर विधना
द' सकैत छथि दंड
नहि करू मानवता केँ खंड-खंड
हम त छी बताह प्रचंड
अहुँ किए
बनैत छी हमरे सदृश।