बढ़ता जाता जगत में, हर दिन उसका मान।
सदा कसौटी पर खरा, रहता जो इंसान॥
रहता जो इंसान, मोद सबके मन भरता।
रखे न मन में लोभ, न अनुचित बातें करता।
'ठकुरेला' कविराय, कीर्ति - किरणों पर चढ़ता।
बनकर जो निष्काम, पराये हित में बढ़ता॥
बढ़ता जाता जगत में, हर दिन उसका मान।
सदा कसौटी पर खरा, रहता जो इंसान॥
रहता जो इंसान, मोद सबके मन भरता।
रखे न मन में लोभ, न अनुचित बातें करता।
'ठकुरेला' कविराय, कीर्ति - किरणों पर चढ़ता।
बनकर जो निष्काम, पराये हित में बढ़ता॥