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समय को इतिहास लिखने दो (कविता) / असंगघोष

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मुझे
समय से
कोई शिकायत नहीं है
जिनसे शिकायत रही है
उनके कान में
मखमली पैबन्द लगे हैं
इसलिए
उन तक
पहुँच पाती नहीं
मेरी आवाज।

उनकी आँखों के सामने
छाई हरियाली से
उन्हें केवल
हरा-हरा दिखता है
कहाँ दिखाई देगा
उन्हें मेरा दलन।

वे कब तक
अंधे और बहरे बने रहेंगे
यह समय ही बताएगा

आओ इस नई भौर में
महाड़ के पानी से
आचमन कर
नई स्फूर्ति के साथ
अंकुरित हो
हम व्याप जाए
इस नभ में
दारुण दुःख छोड़
करें सामना
इन आतताइयों का,

समय को
अपना
काम कर लेने दो
उसे अब हमारा भी
इतिहास लिखना है।