Last modified on 27 नवम्बर 2015, at 03:52

वारे लाँगुरिया रुक मत जइयौ / ब्रजभाषा

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 03:52, 27 नवम्बर 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |रचनाकार=अज्ञात }} {{KKLokGeetBhaashaSoochi |भाषा=ब्रजभाष...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

वारे लाँगुरिया रुक मत जइयो कहूँ गैल में॥ टेक
तोय दऊँ पहले ही बतलाय॥ लाँगुरिया.
वारे लाँगुरिया जो रुकि गयौ कहुँ गैल में,
फिर तौ लेगौ देर लगाय॥ लाँगुरिया.
वारे लाँगरिया मोय आदत तेरी नहीं भावत है,
तू तो सुन लै रे चितलाय॥ लाँगुरिया.
वारे लाँगुरिया मैंने बोली जात करौली की,
हम तौ दरस करेंगे वहाँ जाय॥ लाँगुरिया.
वारे लाँगुरिया गोद मेरी देखि सूनी है,
अब मैया तो देगी भराय॥ लाँगुरिया.