भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

नीराजन / देवाधिदेव / जनार्दन राय

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 04:23, 27 नवम्बर 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=जनार्दन राय |अनुवादक= |संग्रह=देव...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जय हो माता पारवती, पिता शम्भु सुख-धाम,
सीय राम शारदा का कभी न भूलू नाम।
हूं उतारता आरती घर कर पावन-ध्यान,
कृपा करें सब देव गण देकर मुझको ज्ञान।
शब्दों के ही सुमन से पूजूँ हे करतार,
मोह, वासना-तिमिर से लेलो मुझे उबार।