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चन्दा ले लो सौ-सौ प्यार / जनार्दन राय

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चन्दा ले लो सौ-सौ प्यार।
नील नभ श्याम सघन घन चीर,
आया हरने मेरा पीड़।
रक्षित रख न सका निज घोर,
आया देने अपना प्यार,
चन्दा ले लो सौ-सौ प्यार।

हुए आँखों से तुम दूर,
कोसने लगे जगत के क्रूर।
मगर तुम लेकर अपना नूर,
आ गये देने अमृत-धार,
चन्दा ले लो सौ-सौ प्यार।

आज हिय नभ में ज्योति अपार,
भागते दुःख तम हैं उस पार।
खोलने आये सुख के द्वार,
लुटाने आया अपना प्यार,
चन्दा ले लो सौ-सौ प्यार।

तुम्हें नभ-बादल लेते घेर,
यहीं तो मम किस्मत का फेर।
न आते लगती तुमको देर,
पहन लेते निज जय का हार।
चन्दा ले लो सौ-सौ प्यार।

करते शीतलता का दान,
प्राप्त करने अपना सम्मान।
उमड़ पड़ता मेरा अरमान,
बजते हृत तंत्री के तार,
चन्दा ले लो सौ-सौ प्यार।

कहूँ क्या अपने दुख की बात,
कैसे कटती काली रात।
बड़ी मुश्किल से मिलता प्रात,
नहीं मिल पाता सुख का सार।
चन्दा ले लो सौ-सौ प्यार।

नयन से देखा तुमको आज,
हृदय ने पाया सुख का राज।
मन है पहन खुशी का ताज,
बुलाता तुमको बारम्बार।
चन्दा ले लो सौ-सौ प्यार।

आज है हिय भावों से पूर,
जाने दूंगा मैं नहीं दूर।
बनाऊंगा अपने को शूर,
तोड़कर बाधा की दीवार।
चन्दा ले लो सौ-सौ प्यार।

देख तुमको पाया संगीत,
मिली है मेरी खोयी प्रीत।
जगत की बाधा लूँगा जीत,
पानकर तेरा अमृत धार।
चन्दा ले लो सौ-सौ प्यार।

तुम से बजा मिलन का राग,
सुनकर विरह गया है भाग।
निराशा वन में लागी आग,
न भूलूंगा तेरा उपकार।
चन्दा ले लो सौ-सौ प्यार।

किया तुमने कितना उपकार,
न वाणी कह पाती सुकुमार।
खुशी की कली खिली शतवार,
सुवासित है मेरा संसार।
चन्दा ले लो सौ-सौ प्यार।

कहूँ क्या चन्दा रखना याद,
आना फिर सुनने फरियाद।
मिटाकर जाना हिय अवसाद,
अमर कर सपनों का संसार।
चन्दा ले लो सौ-सौ प्यार।

-दिघवारा,
28.7.1958 ई.