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छाए हे गगन मा घटा घनघोर / शकुंतला तरार
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छाए हे गगन मा घटा घनघोर
नाचत हे झूम-झूम मगन मन मोर
आजा गाले ददरिया गोरी बईहाँ जोरी जोर
झिन जाबे गोरी तयं अंधियारी रात मा
सावन के बरखा दमोरत हे घाट मा
तोर बाली हे उमरिया
लुकाय होही ओसना मा चोर
आजा गाले ददरिया गोरी बईहाँ जोरी जोर
कड़कत हे बिजुरी अउ गरजत हे बादर
धरती बगराए हे कजराली आंचर
गउँहा डोमी बिखहर दतैया
झिंगुरा करत हावे सोर
आजा गाले ददरिया गोरी बईहाँ जोरी जोर