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होली-6 / नज़ीर अकबराबादी

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मिलने का तेरे रखते हैं हम ध्यान इधर देख।
भाती है बहुत हमको तेरी आन इधर देख।
हम चाहने वाले हैं तेरे जान! इधर देख।
होली है सनम, हंस के तो एक आन इधर देख।
ऐ! रंग भरे नौ<ref>नये</ref> गुले खंदान<ref>फूल जैसी मुस्कराहट वाली, वाले</ref> इधर देख॥1॥

हम देखने तेरा यह जमाल इस घड़ी ऐ जाँन!।
आये हैं यही करके ख़याल इस घड़ी ऐ जाँन!।
तू दिल में न रख हमसे मलाल इस घड़ी ऐ जाँन!।
मुखड़े पे तेरे देख गुलाल इस घड़ी ऐ जाँन!।
होली भी यही कहती है ऐ जान! इधर देख॥2॥

अब ज़र्द यह चीरा जो तेरे सर पे जमा<ref>सजा</ref> है।
और इस पे यह तुर्रा<ref>सुनहरी तारों का गुच्छा</ref> जो ज़री<ref>सोने का बना हुआ</ref> का भी धरा है।
नीमा<ref>एक प्रकार का ऊंचा पाजामा</ref> भी तेरा रंग से केसर के भरा है।
पोशाक पे तेरी गुले सद बर्ग<ref>सौ पत्तियों वाला, शतदल</ref> फ़िदा है।
नर्गिस तेरी आंखों पे है कु़र्बान इधर देख॥3॥

होली की तरब<ref>आनन्द खुशी</ref> है जो हर इक जा में नमूदार।
सुनते हैं कहीं राग कहीं मै से<ref>शराब</ref> हैं सरशार।
है दिल में हमें तो तेरी नज़रों से सरोकार।
पिचकारी हमारे तो लगा, या न लगा यार।
हमको तो फ़कत है यही अरमान इधर देख॥4॥

है धूम से होली के कहीं शोर, कहीं गुल।
होता नहीं टुक रंग छिड़कने में तअम्मुल<ref>सोच-विचार</ref>।
दफ़ बजते हैं सब हंसते हैं और धूम है बिल्कुल।
होली की खुशी में तू न कर हमसे तग़ाफुल<ref>देर, विलम्ब</ref>।
ऐ जाँन! हमारा भी कहा मान इधर देख॥5॥

है दीद<ref>दर्शन</ref> की हर आन तलब<ref>इच्छा, उत्कंठा</ref> दिल को हमारे।
जीते हैं फ़क़त<ref>सिर्फ, केवल</ref> तेरी निगाहों के सहारे।
हैं याँ जो खड़े आन के इस शौक़ के मारे।
हम एक निगाह के तेरे मुश्ताक़<ref>अभिलाषी</ref> हैं प्यारे।
टुक प्यार की नज़रों से मेरी जान! इधर देख॥6॥

हर चार तरफ़ होली की धूमें हैं अहा! हा!।
देखो जिधर आता है नज़र रोज़ तमाशा।
हर आन झमकता है अजब ऐश का चर्चा।
होली को ‘नज़ीर’ अब तू खड़ा देखे है यां क्या।
महबूब यह आया, अरे नादान इधर देख॥7॥

शब्दार्थ
<references/>