भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

प्यार में पड़ी लड़की / रेणु मिश्रा

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:59, 9 फ़रवरी 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रेणु मिश्रा |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कभी किसी ने नोटिस किया है
अगर नहीं किया है
तो कभी नोटिस करना....
प्यार में पड़ी लड़की
नज़रें उठा के देखती है तारे
मगर, कनखियों से निहारती है चाँद
जिससे प्यार करते हैं
उसे नज़र उठा के
देख भी कहाँ पाते हैं!!
साँसों की गर्माहट से
उबलने लगता है
दिल के फ्लास्क में
लव यू फॉरएवर वाला केमिकल
जिसके साइड-इफ़ेक्ट से
उसे हो जाता है प्यार
आखिर इन केमिकल लोचों से
कभी कोई बच पाया है क्या?
लहज़े की नरमी
और डूबते-उतरते
धड़कनों की चहल-कदमी
बयां कर जाते हैं
दिल के मासूम से जज़्बात
प्यार के मोती
ढुलक ही आते हैं गालों पर
आँखों का समंदर
कहाँ छुपा पाता है प्यार!!
जो चाँद जान लेता है
उन मोतियों की कीमत
वो छिटक के बन जाती है
उजली निखरी चांदनी
नहीं तो आई-शैडो की रंगीनियों में
वो ब्लेंड कर देती है
अपने स्याह से एहसास
मुस्कुराते हुए कह उठती है
वो तो था बस एक इंफैचुएशन
उसे कहाँ हुआ था प्यार!!