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अमावस / निदा नवाज़

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सिरहाने रखे सपने
सांप बन जाते हैं
जब बारूदी धुएँ में
पूर्णिमा
अमावस बन जाती है
बच्चों के पालने
प्रश्न बन जाते हैं
जब गोलियों की गून्ज
लोरी बन जाती है।