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यह परछाई कैसी / निदा नवाज़

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यह परछाई कैसी
पेड़ तले यह सिसकी किसकी
कौन यह कन्या
किस की प्रतीक्षा
सीता बन कर कल भी रोई
रोना इस के जन्म जन्म में
कैसी शक्ति शिव-शंकर की
कैसी भक्ति राम रमय की
आओ फिर से इसको
शक्ति बनाकर
दिल से लगाकर
दाग़ मिटाएं मानवता से।