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तुम आओगी / निदा नवाज़
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स्वागतम
मैं जनता था
तुम अवश्य आओगी
और इसीलिए
मैंने पहले ही से
खोल रखे थे
दिल के किवाड़
और स्वयं
इस दिल के प्रवेश-मार्ग पर
बैठा था
तुम्हारे स्वागत के लिए
कि तुम आओगी
और जलाओगी
इस अंधकारमय दिल में
प्रेम-दीप।