भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
बिम्ब / निदा नवाज़
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:39, 12 फ़रवरी 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=निदा नवाज़ |अनुवादक= |संग्रह=अक्ष...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
एक आवाज़
मेरे भीतर से आती हुई
यह तो परिचित भी नहीं
इसके साथ
कोई मित्रता भी नहीं
एक भटके बादल का टुकड़ा सा
या किसी टूटते तारे की
एक ख़ौफनाक चीख
अंतर के सन्नाटे को
चीरती हुई
यादों के सागर से
आती हुई
तुम्हारी आवाज़
और तुम
मेरा बिम्ब
कभी परिचित लगती हो
और कभी अपरिचित.