भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सपनों की धरा / निदा नवाज़

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:41, 12 फ़रवरी 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=निदा नवाज़ |अनुवादक= |संग्रह=अक्ष...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सपनों की धरा
सपनों का गगन
कुछ न्यारे तारे दे दो ना
विश्वास की बदली छा जाए
प्रेम की वर्षा दे दो ना
रिमझिम वर्षा की कोख में फिर
यह तन भीगे
यह मन भीगे
और चाँद मेरी बांहों में यगे
फिर मौन ही मौन तुम दे दो ना
आशा की चंचल किरणें
हमको साथ-साथ पिघलाए ना
मैं चंदा में
और वह मुझ में
फिर घुलमिल-घुलमिल जाए ना
और पत्थर बनकर हम दोनों
एक प्रतिमाँ में ढल जाए ना
सपनों की धरा
सपनों का गगन
कुछ न्यारे तारे दे दो ना.