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तितली / निदा नवाज़
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(१)
वह वसंत की एक
तितली
और मैं
पतझड़ का
एक फूल
वह रंगों का
एक पर्व
और मैं
रंगों का विलाप
फिर यह संगम कैसा.
(२)
बस देखने में भली है
तितली
छूने से
पकड़ने से
नहीं रहती वह
तितली
रहता है
देह और आत्मा के बीच
फड़फड़ाता
बस एक कीड़ा.