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मोॅन नैं लागै छै / कस्तूरी झा ‘कोकिल’

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कैहिया करभौ गौना भौजी? होली आबै छै।
ढोलक झाल मंजीरा सुनिकेॅ मोॅन नैं लागै छै।

राधा बनिकेॅ नाचबै हम्हूँ,
बन्थिन कृष्ण कन्हैया।
सखी सहेली मिलकेॅ नाचबै,
नाचतै खूब ढोलकिया।

तोहर वाला पलंग देखकेॅ मोॅन ललचाबै छै।
कैहिया करभौ गौना भौजी? होली आबै छै।
ढोलक झाल मंजीरा सुनिकेॅ मोॅन नैं लागै छै।

टुकुर-टुकुर ताकै छै ताराँ
चान निहारै छै।
कुहू-कुहू बोली केॅ कोयली,
आग लगाबै छै।

केनाँक बनबै चिड़िया बोलेॅ पंख नैं लागै छै?
कैहिया करभौ गौना भौजी? होली आबै छै।
ढोलक झाल मंजीरा सुनिकेॅ मोॅन नैं लागै छै।

हमरा पास मोबाइल नैं छै
केनाँक करियै बतिया?
काँटा नाँकी दिन लागै छै,
सौतिन नाँकी रतिया।

कली फूल पर भौंरा गुन-गुन मोॅन उमगाबै छै।
कैहिया करभौ गौना भौजी? होली आबै छै।
ढोलक झाल मंजीरा सुनिकेॅ मोॅन नैं लागै छै।

-मुक्त कथन-वर्ष 31, अंक 29, 11 मार्च, 2006