♦ रचनाकार: अज्ञात
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होली खेले लाड़ली मोहन सें।
बाजत ताल मृदंग झांझ ढप
शहनाई बजे सुर तानन से। होली...
भर पिचकारी मोरे सन्मुख मारी
भीज गईं मैं तन मन से। होली...
उड़त गुलाल लाल भये बादल
रोरी भलें दोऊ गालन सें। होली...
फगुआ मिले बिन जाने न दूंगी
कह दो यशोदा अपने लालन सें।
होली खेले लाड़ली मोहन सें।